Dahej Pratha | Dahej Ki Bheekh | Dowry Essay In Hindi
गौतम बिहार नाम के गांव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में कुल तीन लोग थे। श्याम और उसकी पत्नी और उसकी बेटी। श्याम की पत्नी काफी बीमार रहती थी। श्याम की बेटी का नाम प्रिया था। प्रिया देखने में काफी खूबसूरत
थी और पढ़ाई में भी तेज थी।
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श्याम नौकरी करता था लेकिन उस नौकरी से उसको उतना ही पैसा मिलता था की जिस से वो अपने घर का खर्चा उठा सके और अपनी कुछ जरूरते पूरी कर सके वो आने वाले समय के लिए कुछ पैसे जोड़ने को सोचता था तब कुछ ना कुछ काम आ जाता था । फिर भी श्याम कुछ कठिनाइयों का सामना करते हुए आने वाले समय में अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जोड़ने लगा धीरे धीरे प्रिया बड़ी होने लगी।
श्याम अब उसकी शादी के लिए कोई अच्छा सा लड़का देखने लगा जहाँ उसकी फूल सी बेटी प्रिया शादी के बाद जाये तो उसको किसी मुस्किलो का सामना ना करना पड़े।.काफी देखने-सुनने के बाद एक परिवार मिल गया श्याम को जहां उसकी बेटी शादी के बाद खुश रह सकती थी।
श्याम अब उसकी शादी के लिए कोई अच्छा सा लड़का देखने लगा जहाँ उसकी फूल सी बेटी प्रिया शादी के बाद जाये तो उसको किसी मुस्किलो का सामना ना करना पड़े।.काफी देखने-सुनने के बाद एक परिवार मिल गया श्याम को जहां उसकी बेटी शादी के बाद खुश रह सकती थी।
श्याम कुछ लोगो को लेकर उस लड़के के घर गया शादी की बात करने के लिए। काफी समय बात होने के बाद लड़के के पिता ने अपने लड़के की शादी श्याम की बेटी से करने के लिए एक शर्त पे राजी हुए।
लड़के के पिता ने शर्त में एक गाडी की मांग रख दी।.श्याम सोच में पड़ गया की वो इतने पैसे कहा से लाएगा की शादी भी करे और दहेज़ में चार पहिये की गाडी भी दे। लेकिन एक तरफ अपनी बेटी को खुश भी देखना चाहता है।
श्याम ने लड़के की पिता की शर्त को मान लिया और शादी की तारीख तय कर के अपनी घर वापिस आ गया और अपनी पत्नी और बेटी से ये बात खुश होकर बतायापत्नी खुश हो गयी।
श्याम ने अपने जोड़े हुए रुपयों से दहेज़ तो नहीं दे पता बस शादी अच्छे से कर सकता था।
लेकिन अपनी बेटी को खुश देखने के लिए उसको होने वाले परिवार को भी खुश रखना था इस लिए अपनी खेती वाली जमीन बेच कर दहेज़ की मांग पूरी की और काफी अच्छे से अपनी बेटी की बिदाई की।
जब प्रिया अपनी ससुराल गयी तो उसका पति रवि शादी के दूसरे दिन ही दहेज़ में मिली नयी गाडी से कही घूमने जाने ले लिए बोलने लगा। प्रिया भी राजी हो गयी। दोने घूमने के लिए निकल पड़े। रवि गाडी बहुत तेजी से चला रहा था।
प्रिया ने बहुत बार मना किया की "रवि गाडी धीरे चलाओ" इस बात को हसी में लेते हुए रवि बोला की "जान, आज मत रोको! आज तक मेने अपने दोस्तों की गाडी मांग कर चलाई है। आज अपनी गाडी है तो में अपनी हसरत पूरी करना चाहता हूँ,
प्रिया ने बहुत बार मना किया की "रवि गाडी धीरे चलाओ" इस बात को हसी में लेते हुए रवि बोला की "जान, आज मत रोको! आज तक मेने अपने दोस्तों की गाडी मांग कर चलाई है। आज अपनी गाडी है तो में अपनी हसरत पूरी करना चाहता हूँ,
ना में ना मेरे पिता इस गाडी को खरीदने की कभी सोच सकते है ना ही खरीद सकते है ,
तभी तो पिता जी ने तुम्हारे पिता जी से दहेज़ में ये गाडी की मांग की थी, तो आज मेरी हसरत पूरी करने दो,"।
रवि गाडी तो तेजी से चला ही रहा था और साथ-साथ में उसमे लगे म्यूजिक प्लेयर में बहुत तेज गाना भी बजा रहा था।
तब प्रिया ने बोला की "ठीक है तुम अपनी हसरत पूरी कर लो लेकिन गाने की आवाज तो काम कर लो" और प्रिया इतना बोल कर खुद ही आवाज कम करने लगी।
तभी अचानक से गाडी के आगे एक भिखारी आते दिखा। रवि घबरा गया और बड़ी मुश्किल से पूरी ताकत से ब्रेक लगाते-लगाते गाडी दूसरी तरफ घुमा दी और एक हादसा होने से खुद को और उस भिखारी को बचा लिया और गुस्से से उस गरीब भिखारी को गाली देने लगा और बहुत बुरा भला बोलने लगा।
तभी प्रिया गाडी से उतर कर उस भिखारी के पास जाती है और देखती है की वो अपाहिज है।
तब प्रिया ने उस गरीब अपाहिज से माफ़ी मांगी और अपनी बैग से 100 रूपये का नोट निकाल कर उस गरीब को दिया और बोला की "बाबा आप इस रूपये से मिठाई खा लीजियेगा। हमारी शादी हुयी है और अपना आशीर्वाद हमे दीजियेगा"। उसको सहारा देकर रोड के किनारे ले जाकर बैठा दिया और खुद वापिस गाडी में आके बैठ गयी।
तब रवि ने प्रिया से बोला की तुम जैसो की वजह से इनकी हिम्मत बढ़ जाती है। किसी भिखारी को मुँह नहीं लगाना चाहिए।
तब प्रिया ने उस गरीब अपाहिज से माफ़ी मांगी और अपनी बैग से 100 रूपये का नोट निकाल कर उस गरीब को दिया और बोला की "बाबा आप इस रूपये से मिठाई खा लीजियेगा। हमारी शादी हुयी है और अपना आशीर्वाद हमे दीजियेगा"। उसको सहारा देकर रोड के किनारे ले जाकर बैठा दिया और खुद वापिस गाडी में आके बैठ गयी।
तब रवि ने प्रिया से बोला की तुम जैसो की वजह से इनकी हिम्मत बढ़ जाती है। किसी भिखारी को मुँह नहीं लगाना चाहिए।
इस बात पर प्रिया मुस्कराते हुए बोली "रवि भिखारी तो मजबूर होते है इस लिए भीख मांगते है ,लेकिन बहुत लोगो के पास सब कुछ होते हुए, सब कुछ सही होते हुए दहेज़ नाम की भीख मांग लेते है।
रवि जानते हो खून पसीना एक करना पड़ता है। एक लड़की के माँ बाप को तब जाकर ये दहेज़ नाम की भीख लड़के वालो को दे पाते है।
तुम ने भी तो दहेज़ में मेरे पिता जी से गाडी की मांग रख दी थी तो अब तुम ही बोलो की भिखारी कौन हुआ?"
रवि के पास प्रिया के किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था। वो अपनी बात पे सर्मिन्दा था।
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तभी प्रिया फिर बोल पड़ी, "रवि जानते हो एक माँ-बाप अपने जिगर के टुकड़े को 20 से 25 सालो तक संभालकर रखते है फिर शादी करके दूसरे को अपनी बेटी दान करते है। जिस को कन्यादान दान कहते है।जिस को "महादान" भी कहते है, ताकि दुसरो का घर बसे और उसका वंश बढ़ सके। उसका परिवार चल सके और उस पर लड़की के बाप से दहेज़ मांगना भीख नहीं तो और क्या है तुम ही मुझे बताओ
????
कौन हुआ भिखारी दहेज़ मांगने वाला या ये अपाहिज मजबूर गरीब ????"
रवि शर्म से अपनी नज़रे निचे किये सब सुन रहा था।
प्रिया की इन सब बातो से रवि को एक सदमा सा जा लगा। और प्रिया की बातो से पड़े तमाचों ने रवि को बता दिया की असल में भिखारी कौन है।सड़क के किनारे वो मजबूर भिखारी या उसके जैसे लोग जो अपनी हसरत पूरी करने के लिए दहेज़ की मांग रखते है।
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