बड़ी गाँव की छावनी में एक पुराना हवेली था, जिसपर अजीबोगरीब किस्से छाए हुए थे। हवेली के अंदर की चिरपिंग आवाज़ सुनकर स्थानीय लोग बचपन से ही डर के माहौल में रहते थे।
एक अंधेरी रात, तीन दोस्त ने तैय किया कि वे उस हवेली का राज़ खोजेंगे। वे हवेली की ओर बढ़ते ही मौसम में बदलाव हुआ, हवा से अजीब कुछ आवाज़ें आने लगीं।
हवेली के अंदर की ठंडक से भरी थी, और चीरपिंग की गर्जना सुनाई दे रही थी। वे एक पुराने कमरे में चले गए, जहां अत्यंत पुराने चीनी बर्तन सजे थे।
एक अचानकी हवा की बूंद उनकी बालों को हिला दी, और रुखी हुई मुट्ठी से खिड़की बंद हो गई। दोस्तों ने प्रतिभाता से कोशिश की, लेकिन उनका दिल तेज़ धड़कने लगा।
बर्तनों की भरी आवाज़ के बीच, अचानक एक ऊँची चीख गूंथी गई। वे चीच थमने का इंतजार करते रहे, लेकिन फिर एक अजीब आवाज़ सुनाई दी - "तुम्हारी मौके पर कीचड़ चला गया है।"
उनकी नज़रें उस बंद खिड़की की तरफ बढ़ीं, और वहां खड़ा एक पुराना बच्चा उन्हें देख रहा था, कीचड़ से लिपटा हुआ। उसने कहा, "तुम्हें नहीं पता, लेकिन यहां हर रात एक अजीब सा बच्चा यही खेलता है।"
वे दोस्त तत्पर होकर पूछे, "यह सब क्या है?" बच्चा मुस्कराया और बोला, "यह हवेली नहीं, यह मेरा घर है।"
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